रंज हो या कोई ख़ुशी अपनी तुझ से वाबस्ता ज़िंदगी अपनी नाम तेरा वज़ीफ़ा-ए-दिल-ओ-जाँ प्यार तेरा है बंदगी अपनी दिल का रिश्ता अटूट रिश्ता है निस्बतें तुझ से दाइमी अपनी दिल लगा कर किसी से देख लिया रंग लाई है दिल-लगी अपनी उस नज़र का अजीब अफ़्सूँ था ज़िंदगी जिस में खो गई अपनी सुन तो लीजे फ़साना-ए-ग़म-ए-दिल रोक लीजे ज़रा हँसी अपनी उन को देखा तो ये लगा है 'नसीम' आज दिल की कली खिली अपनी