रंज इतने मिले ज़माने से लब चटख़्ते हैं मुस्कुराने से धुँदली धुँदली सी पड़ गई यादें ज़ख़्म भी हो गए पुराने से मत बनाओ ये काँच के रिश्ते टूट जाएँगे आज़माने से तीरगी शब की कम नहीं होगी घर के अंदर दिए जलाने से अक़्ल ने दिल को कर दिया हुशियार बच गए हम फ़रेब खाने से हो ही जाएँगे हम रिहा इक दिन छूट जाएँगे क़ैद-ख़ाने से ऐ 'सिया' तंग आ चुकी हूँ मैं हौसले की चिता जलाने से