रंजिश तिरी हर दम की गवारा न करेंगे अब और ही माशूक़ से याराना करेंगे बाँधेंगे किसी और ही जोड़े का तसव्वुर सर ध्यान में उस ज़ुल्फ़ के मारा न करेंगे इम्कान से ख़ारिज है कि हूँ तुझ से मुख़ातिब हमनाम को भी तेरे पुकारा न करेंगे यक बार कभी भूले से आ जाएँ तो आ जाएँ लेकिन गुज़र इस घर में दोबारा न करेंगे क्या ख़ूब कहा तू ने जो खोलूँ अभी आग़ोश मिलने से मिरे आप किनारा न करेंगे गो ख़ाक में मिल जाएँ हम और वज़्अ बदल जाएँ पर तुझ से मुलाक़ात ख़ुद-आरा न करेंगे उस नर्गिस-ए-'बीमार' से रखते हैं शबाहत हरगिज़ सू-ए-अबहर भी इशारा न करेंगे