रास्त अगर सर्व सी क़ामत करे यार की आँखों में क़यामत करे पानी होवे आरसी उस मुख को देख ज़ोहरा उसे क्या कि इक़ामत करे तूर मिरी अक़्ल-ओ-ख़िरद से है दूर मुझ को सबी ख़ल्क़ मलामत करे छब हुए जिस शख़्स को तुझ माह सी सर्व-क़दाँ बीच इमामत करे दहर में 'फ़ाएज़' सा नहीं एक तन इश्क़ के क़ानून में क़यामत करे