रौनक़-ए-ज़हर हो चुका मिरा दिल कब का इक शहर हो चुका मिरा दिल इश्क़ की ऐन गिर चुकी कब की ख़ारिज-अज़-बहर हो चुका मिरा दिल हो गई देर तुझ से बाद-ए-सबा अब तो दोपहर हो चुका मिरा दिल लौट जाएँ बड़े सफ़ीना-ए-इश्क़ बहर से नहर हो चुका मिरा दिल 'फ़रहत-एहसास' उठा ये दस्तर-ख़्वान लुक़्मा-ए-क़हर हो चुका मिरा दिल