रौंद पाए न दलाएल मेरे मेरे दुश्मन भी थे क़ाएल मेरे साफ़ दिखती थी जलन आँखों में फिर भी होंटों पे फ़ज़ाएल मेरे ये तही फ़िक्र कुएँ के मेंडक ये न समझेंगे मसाइल मेरे छाँव देते थे मगर राह नहीं पेड़ थे रस्ते में हाएल मेरे आँख अब ख़्वाब नहीं दे सकती रौशनी माँग ले साइल मेरे जब तलक हाथ तिरे हाथ में है हौसले होंगे न ज़ाइल मेरे उस ने पास आ के 'फ़रीहे' बोला गिर गई हाथ से फ़ाइल मेरे