रौशनी का साथ महँगा पड़ गया है जाने किस वहशत में साया पड़ गया है आप की जादूगरी के वास्ते ही ख़ुद को हैरत में दिखाना पड़ गया है फिर मुझे दरपेश हैं ख़ुशियाँ तुम्हारी फिर से ग़म अपना छुपाना पड़ गया है हम कहाँ उन को बिठाएँ सोच में हैं घर हमारा कितना छोटा पड़ गया है दश्त की अज़्मत भी अब ख़तरे में आई मेरे पीछे घर का रस्ता पड़ गया है खींच लाता है मुझे दर तक तुम्हारे मेरे पीछे कोई बच्चा पड़ गया है मैं लगा हूँ ढूँढने में रूह को और जिस्म बेचारा अकेला पड़ गया है