रविश रविश पे फूल खिलाते गुलज़ारों की बात करें छोड़ गए जो तन्हा हम को इन प्यारों की बात करें सर्द-रवी के झोंके तन को छेद रहे हैं मुद्दत से आओ नाँ मिल कर दरवाज़ों से दीवारों की बात करें ख़ाक-नशीनी ठीक है लेकिन कभी कभी दिल करता है दूर फ़ज़ा में उड़ते जाएँ कोहसारों की बात करें उस दिन सोच हिनाई होगी उस दिन राधा नाचेगी बेचारे जब मिल कर सारे बेचारों की बात करें सूरज जा कर छुप जाता है धन वालों की झोली में आओ नाँ मिल कर जुगनू बाँटें अँधियारों की बात करें देख 'समीना' 'सय्यद' कैसे वक़्त ने करवट बदली है सर की बातें करने वाले दस्तारों की बात करें