ये इज़्न-ए-आम है ऐ वाइ'ज़ो आओ वुज़ू कर लो ख़ुदा का नाम ले कर बैअ'त-ए-दस्त-ए-सुबू कर लो गुलों की चाक दामानी पे क्यूँ जाते हो दीवानो ख़ुद अपने ही जिगर के चाक तो पहले रफ़ू कर लो ये बज़्म-ए-मय है याँ पीना पिलाना ही इबादत है इजाज़त है अगर चाहो ख़ुदा को रू-ब-रू कर लो कलीम आओ तो मेरे साथ तुम भी तूर-ए-सीना तक ज़रा इस दुश्मन-ए-ईमान-ओ-दीं से गुफ़्तुगू कर लो ख़ुदा जाने ये कैसी आग है हम ने मोहब्बत में यही देखा कि दिल को ख़ाक कर लो या लहू कर लो यूँ ही रोते रहोगे उम्र भर मेरी तरह 'रिफ़अत' कहीं ऐसा न हो तुम भी किसी की आरज़ू कर लो