रिम-झिम है ये अश्कों की रवानी है कि क्या है आ देख मिरी आँख में पानी है कि क्या है अनवार के धारे हैं ये ख़ुशबू है कि तुम हो आँचल है कोई रात की रानी है कि क्या है शो'ला है ये शबनम है कि तितली है कली है इक बहर-ए-सुख़न तेरी जवानी है कि क्या है ये चाँद सा चेहरा है कि सूरज की किरन है ज़ुल्फ़ें हैं तिरी रात सुहानी है कि क्या है लगता है फ़लक हम को अगर मिस्रा-ए-ऊला तो फिर ये ज़मीं मिस्रा-ए-सानी है कि क्या है होंटों पे लरज़ते हुए दम तोड़ चुका है बे-कार कोई क़िस्सा कहानी है कि क्या है 'यासिर' है मोहब्बत को समझना भी मुसीबत ताज़ा भी नहीं है तो पुरानी है कि क्या है