रोज़ कहता है मुझे चल दश्त में ले न जाए दिल ये पागल दश्त में दर्ज होनी है नई आमद कोई हो रही है ख़ूब हलचल दश्त में एक मैं हूँ एक हैं मजनूँ-मियाँ हो गए दो लोग टोटल दश्त में इश्क़ में अपने अधूरापन जो था हो गया आ के मुकम्मल दश्त में रात-भर आवारगी करते रहे एक मैं इक चाँद पागल दश्त में