रोने लगे हैं लोग रुलाते हुए मुझे मेरी ही दास्तान सुनाते हुए मुझे मेरे सफ़र को और भी मुश्किल-ज़दा न कर यूँ दूर तक न देख तू जाते हुए मुझे यारो अना की जंग में अक्सर यही हुआ वो हारता गया है हराते हुए मुझे ये कौन मेरी ज़ात पर एहसान कर गया ये कौन मर गया है बचाते हुए मुझे इक दर्द आ के मुझ में अचानक ठहर गया रोया वो जब गले से लगाते हुए मुझे मैं भी थका हुआ था सो फ़ौरन ही बुझ गया गुज़री थी ये हवा भी बुझाते हुए मुझे