रोता रहा मैं उस को वो रोया किया मुझे कल रात एक दश्त ने दरिया किया मुझे वैसे तो हादसे कई पहले भी हो चुके लेकिन ये क्या कि तुम ने तो सज्दा किया मुझे मुझ पर दवा-ए-ज़ख़्म हुई बे-असर तो फिर उस के गुदाज़ जिस्म ने अच्छा किया मुझे आँखों में जब तलक रहा दुनिया की रात था छू कर तिरी नज़र ने सवेरा किया मुझे किस का बिछोह था मुझे तारीक कर गया किस के मिलन ने फिर से दिया सा किया मुझे उस की ही प्यास थी मुझे दर-दर जो ले गई और उस की आरज़ू ने ही सहरा किया मुझे