रूह काग़ज़ कलाम ख़ुश्बू है क्या नुमायाँ पयाम ख़ुश्बू है है तुम्हारे ख़मीर की ख़ुश्बू तुम जो कहते हो आम ख़ुश्बू है हम से तोहफ़े में फूल क्यूँ कर ले उस का तो अपना नाम ख़ुश्बू है फूल मौसम की नज़र हो गए सब जिस ने पाया दवाम ख़ुश्बू है कोई मेरे क़रीब आया है क्यूँ न भेजूँ सलाम ख़ुश्बू है निस्बतें आप के पसीने से कितनी आली-मक़ाम ख़ुश्बू है बात आग़ाज़ फूल से होगी बात का इख़्तिताम ख़ुश्बू है