साँस लेना भी बार होता है जब तिरा इंतिज़ार होता है आता है जब बहार का मौसम जब जुनूँ उस्तुवार होता है ज़िक्र क्या दामन-ओ-गरेबाँ का पैरहन तार तार होता है आप रोने से मनअ' करते हैं रोने पर इख़्तियार होता है है हक़ीक़त यही कि हर चेहरा दिल का आईना-दार होता है ऐ मिरे दिल सुकूँ सुकूँ है मगर इंतिशार इंतिशार होता है रास आती नहीं ख़ुशी उस को जिस को ग़म नागवार होता है सुन के 'आजिज़' वो सर-गुज़श्त मिरी जाने क्यूँ अश्क-बार होता है