सब हसीनों में वो प्यारा ख़ूब है एक चेहरा जिस्म सारा ख़ूब है ऐसे मुखड़े की बलाएँ लीजिए भोला भोला प्यारा प्यारा ख़ूब है मेरी महफ़िल में कभी आते नहीं ग़ैर के घर में गुज़ारा ख़ूब है दोनों आँखें क़ातिल-ए-उश्शाक़ हैं लश्कर-ए-मिज़्गाँ सफ़-आरा ख़ूब है चर्ख़ पर तुम को चढ़ा कर देखिए कौन सा तारों में तारा ख़ूब है तुम जो आए जिस्म में जान आ गई जान में पैरा तुम्हारा ख़ूब है पास अपने हो अगर तस्वीर-ए-यार ज़िंदगानी का सहारा ख़ूब है क्यूँ मिलें हम आप से चोरी-छुपे बात जो है आश्कारा ख़ूब है तू कहा मैं ने तो आज़ुर्दा हुए ग़ैर की गाली गवारा ख़ूब है चाँद से बढ़ती है आँखों की ज़िया ख़ूब-रूओं का नज़ारा ख़ूब है दोस्तों से इंहिराफ़ अच्छा नहीं दुश्मनों से भी मुदारा ख़ूब है माँग बालों में ही क्या है आब-दार डूब-मरने को ये धारा ख़ूब है आबरू जाती रहेगी आप की 'बहर' अब उस से किनारा ख़ूब है