सब से प्यारा है प्यार का रिश्ता जान से जाँ-निसार का रिश्ता हम से रिश्ता हुज़ूर वो रखिए जो गले से है हार का रिश्ता आरज़ू ने तिरी निभाया है 'उम्र-भर इंतिज़ार का रिश्ता जिस की तस्दीक़ दिल भी करता हो है वही ए'तिबार का रिश्ता गुल ख़िज़ाओं में साथ छोड़ गए गुल से अच्छा था ख़ार का रिश्ता हम जिसे दोस्ती समझ बैठे था फ़क़त कारोबार का रिश्ता सब की मंज़िल जुदा जुदा निकली सब से था रहगुज़ार का रिश्ता देखिए कितने रोज़ निभता है हम से इस गुल-‘इज़ार का रिश्ता जिस्म की रूह से रही अन-बन था चलो एक बार का रिश्ता अहल-ए-हक़ को रहे ख़याल 'सदा' ख़ास है हक़ से दार का रिश्ता