सच है कि इस बहार के आगे ये कुछ नहीं लेकिन हमारे प्यार के आगे ये कुछ नहीं मय का ख़ुमार ठीक है अपनी जगह मगर तेरे दिए ख़ुमार के आगे ये कुछ नहीं शाहों के ताज वाक़ई बेहद हसीन हैं लेकिन जमाल-ए-यार के आगे ये कुछ नहीं चाहे जहाँ करे न करे मुझ पे ए'तिबार इक तेरे ए'तिबार के आगे ये कुछ नहीं मजबूरियाँ हमारी हों रुस्वाई का सबब हाँ तेरे इख़्तियार के आगे ये कुछ नहीं कलियाँ बहार फूल चमन और वादियाँ महबूब के दयार के आगे ये कुछ नहीं जितना भी अपने सर को उठाएँ ये नफ़रतें 'काशिफ़' 'अदीब' प्यार के आगे ये कुछ नहीं