सफ़र में गर्द छटी रास्ता दिखाई दिया और इस के ब'अद मुझे दूसरा दिखाई दिया ज़बान हर्फ़ से महरूम हो गई है मिरी बताऊँ कैसे मुझे और क्या दिखाई दिया मिरे ही ख़्वाब तमन्ना की लौ में जलते रहे मिरा ही अक्स सर-ए-आईना दिखाई दिया निकल के आप से बाहर दिखाई कुछ न दिया दिखाई कुछ न दिया तो ख़ुदा दिखाई दिया भटक रहा था मैं बे-सम्त रहगुज़ारों में फिर एक रोज़ तिरा नक़्श-ए-पा दिखाई दिया