मोहब्बत में वफ़ाओं का यही इनआ'म है 'सूफ़ी' लिए दाग़-ए-जुदाई हसरत-ए-नाकाम है 'सूफ़ी' अगर इल्ज़ाम है कोई तो ये इल्ज़ाम है 'सूफ़ी' कि तू अपनी शराफ़त के लिए बदनाम है 'सूफ़ी' हमीं हर दौर में थे गर्दिश-ए-अय्याम के मारे मगर हम से इलाज-ए-गर्दिश-ए-अय्याम है 'सूफ़ी' ब-फ़ैज़-ए-रस्म-ए-मय-ख़ाना बदलते ही रहे साक़ी जो बिन माँगे पिलाए साक़ी-ए-गुलफ़ाम है 'सूफ़ी' कशाकश-हा-ए-हस्ती ने जिसे दीवानगी बख़्शी वो दीवाना हरीफ़-ए-तल्ख़ी-ए-अय्याम है 'सूफ़ी' तिरे गीतों की झंकारों से दुनिया गूँज तो उट्ठी मगर काशी की नगरी में बड़ा गुमनाम है 'सूफ़ी'