सहारा दे नहीं सकते शिकस्ता पाँव को हटाओ राह-ए-मोहब्बत से रहनुमाओं को बना रहा हूँ हसीं और मह-लक़ाओं को सजा रहा हूँ मैं आफ़ाक़ की फ़ज़ाओं को नज़र नज़र से मिलाता हूँ मुस्कुराता हूँ जुनूँ की शान दिखाता हूँ दिल-रुबाओं को क़दम क़दम पे नए इंक़लाब रक़्साँ हैं दुआएँ देते हैं हम आप की अदाओं को मिला जो दामन-ए-साहिल तो ऐसी मौज आई सफ़ीने सौंप दिए हम ने ना-ख़ुदाओं को निगाह फेरने वालों से पूछता हूँ मैं तुम आज़माओगे कब तक मिरी वफ़ाओं को अभी तो दश्त-ओ-दमन में बहार आई है अभी चमन में खिलाने हैं गुल हवाओं को चले हैं जानिब-ए-दार-ओ-रसन ख़राबाती गुनह का रंग दिखाना है पारसाओं को हर एक लम्हा-ए-नौ का अब एहतिराम करो नया पयाम दो 'अख़्तर' नई फ़ज़ाओं को