सहर-ना-आश्ना कोई नहीं है मगर अब जागता कोई नहीं है पयामी बन के आते थे परिंदे मगर अब राब्ता कोई नहीं है शिकस्ता-पा नहीं हैं हम दरख़्तो करें क्या रास्ता कोई नहीं है कोई लौटा नहीं घर से निकल कर मगर ये सोचता कोई नहीं है बहा लो तुम ही अपने साथ मौजो हमारा आसरा कोई नहीं है हम इस की खोज में निकले हुए हैं हमें अपना पता कोई नहीं है