सहमा सहमा जब इक मिस्रा ग़ज़ल सुनाए तुम आना रूठी रूठी गर्म हवा जब बारिश लाए तुम आना तपते गुल के दामन से क्यों तुम ने चुराई ख़ुशबू है अब जो सुर्ख़ी अख़बारों की आग लगाए तुम आना रस्ता मंज़िल ख़्वाब तसव्वुर सच्चाई बस इतनी है दस्तक कोई सन्नाटे की आ के जगाए तुम आना मेरे घर के दरवाज़े पर किस ने लिखा है काजल से टुकड़ा टुकड़ा कोई आँचल जब लहराए तुम आना 'ज़ाहिद' के गाँव का जेहलम अब भी पानी पानी है हर क़िस्से की ज़िंदा कहानी जब बह जाए तुम आना