सहरा सहरा रात करें हम तन्हाई की बात करें हम पत्थर-दिल दुनिया पर आख़िर क्यों ज़ाया जज़्बात करें हम जब जी चाहे लूट मचा दें जब चाहे ख़ैरात करें हम इक-दूजे के दर्द टटोलें कुछ बातें बे-बात करें हम किस आँगन को सूखा छोड़ें किस छत पर बरसात करें हम आप ही बोलें आप की ख़ातिर ऐसा क्या हज़रात करें हम परनाले भी खुल जाएँगे पहले कुछ बरसात करें हम एक अकेले कैसा हल्ला आओ मिल कर साथ करें हम