सैर-ए-बाज़ार-ए-जहाँ करते हुए हम को चला दिल की क़ीमत का पता फूल की अर्ज़ानी से किन सितारों ने जड़ें पकड़ें सिफ़ाल-ए-नम में शब-गज़ीदों की समावात में गुल-बानी से क़ाफ़िले मिस्ल-ए-सबा दिल से गुज़र जाते हैं कौन मिलता है भरी भीड़ में आसानी से घर के होते हुए हम ऐसे सफ़र-बख़्त-नुजूम मिलते आए हैं बहुत बे-सर-ओ-सामानी से