सज़ा देना है तो ऐसी सज़ा दे किसी से इश्क़ करना ही सिखा दे मुझे फिर कुछ दुआएँ माँगनी हैं उफ़ुक़ से फिर कोई तारा गिरा दे वो तुझ को आज़माना चाहता है तू अपने सब्र से उस को हरा दे अगर जाना है तो जाए वो लेकिन सबब तो छोड़ जाने का बता दे बनाऊँ कोई तो ऐसी ख़बर में ख़बर उस को जो अंदर तक हिला दे बस इतनी रौशनी की आरज़ू है जो मेरे साए से मुझ को मिला दे मैं ख़ुद से बात जी भर कर सकूँ बस मुझे इतनी हवा इतनी फ़ज़ा दे