साक़िया है ये जाम का आलम By Ghazal << ख़तर हवा-ए-मुख़ालिफ़ का द... उन्हें सवाल ही लगता है मे... >> साक़िया है ये जाम का आलम जैसे माह-ए-तमाम का आलम कब्क रफ़्तार अपनी भूल गए देखो उस के ख़िराम का आलम अब ख़ुदा फिर हमें न दिखलाए शब-ए-हिज्राँ की शाम का आलम तुझ पे है इन दिनों में नाम-ए-ख़ुदा कुछ अजब धूम-धाम का आलम Share on: