सलाम तेरी मुरव्वत को मेहरबानी को मिला इक और नया सिलसिला कहानी को नसीम-ए-याद-ए-ग़ज़ालाँ चली न फूल खिले वो रेगज़ार मिले मौसम-ए-जवानी को बहुत उदास बहुत मुन्फ़इल नज़र आई निगाह चूम के रुख़्सार-ए-शादमानी को दयार-ए-शेर में 'जामी' क़ुबूल कर न सका मिरा मज़ाक़ रिवायत की हुक्मरानी को