समझ के देखो ऐ आरिफ़ाँ तुम किया है हक़ ने ये भेद कैसा अपे है अव्वल अपे है आख़िर अपे चे मख़्फ़ी अपे चे पैदा अपे कहा कुन अपे चे फ़यकूँ अपे है सानेअ' अपे है सनअ'त अपे अहद और अपे चे अहमद अपे है आदम अपे है हव्वा अपे है मतलब अपे है तालिब अपे है दिलकश अपे है आशिक़ अपे चे मजनूँ अपे चे लैला अपे है यूसुफ़ अपे ज़ुलेख़ा अपे चे कहता अपे चे सुनता अपे है दाना अपे है बीना अपे चे क़ाइम रहे हमेशा अपे चे क़ादिर अपे तवाना 'अलीम' मत कह ये राज़-ए-मख़्फ़ी पिया की उल्फ़त में रह सदा तू अगर सुने इस सुख़न को ग़ाफ़िल गढ़ेगा उस पर कठिन मुअम्मा