समन-बरों से चमन दौलत-ए-नुमू माँगे हवा-ए-दामन-ए-गुल गेसुओं की बू माँगे तराज़-ए-शोख़ी-ए-पा है ग्याह-ए-सब्ज़ की माँग ख़िराम-ए-नाज़ का अंदाज़ आब-जू माँगे बिखरती ज़ुल्फ़ से टूटे ग़ुरूर-ए-शब का तिलिस्म सहर का हुस्न फ़ुसून-ए-रुख़-ए-निकू माँगे वरक़ वरक़ गुल-ए-तर मौज मौज बाद-ए-सहर बदन का लम्स तिरे पैरहन की बू माँगे शिगाफ़-ए-कोह न था तेशा-ए-वफ़ा की तलब ये जू-ए-शीर अभी और कुछ लहू माँगे शिकस्त-ए-शीशा-ए-पिंदार की सदा भी सुन करम की भीक जब उस संग-दिल से तू माँगे कहाँ वो शोख़ मगर अपना नुत्क़-ओ-लब 'गौहर' उसी का ज़िक्र पए-ज़ेब-ए-गुफ़्तुगू माँगे