समझे है मफ़्हूम नज़र का दिल का इशारा जाने है हम तुम चुप हैं लेकिन दुनिया हाल हमारा जाने है हल्की हवा के इक झोंके में कैसे कैसे फूल गिरे गुलशन के गुल-पोश न जानें गुलशन सारा जाने है शम-ए-तमन्ना पिछले पहर तक दर्द का आँसू बन ही गई शाम का तारा कैसे डूबा सुब्ह का तारा जाने है क्या क्या हैं आईन-ए-तमाशा क्या क्या हैं आदाब-ए-नज़र चश्म-ए-हवस ये सब क्या जाने वो तो नज़ारा जाने है अपने 'शमीम'-ए-रुस्वा को तुम जानो हो अंजान कोई बस्ती सारी पहचाने है सहरा सारा जाने है