सामने सब के न बोलेंगे हमारा क्या है छुप के तन्हाई में रो लेंगे हमारा क्या है गुलशन-ए-इश्क़ में हर फूल तुम्हारा ही सही हम कोई ख़ार चुभो लेंगे हमारा क्या है उम्र-भर कौन रहे अब्र-ए-करम का मुहताज दाग़-ए-दिल अश्कों से धो लेंगे हमारा क्या है हाथ आया न अगर दस्त-ए-हिनाई तेरा उँगलियाँ ख़ूँ में डुबो लेंगे हमारा क्या है तुम ने महलों के अलावा नहीं देखा कुछ भी हम तो फ़ुटपाथ पे सो लेंगे हमारा क्या है अपनी मंज़िल तो सराबों का सफ़र है 'बाक़ी' हम किसी राह पे हो लेंगे हमारा क्या है