समुंदर पुर-सुकूँ है दिल का तुग़्यानी नहीं कोई हवा पुर-शोर है लेकिन परेशानी नहीं कोई तअज्जुब है तो बस अपनी वफ़ादारी के जज़्बे पर हमें उस के बदल जाने पे हैरानी नहीं कोई तसलसुल ख़्वाब-ए-ख़ुश-आसार का यूँ टूट जाने पर तअस्सुफ़ है मगर ऐ दिल पशीमानी नहीं कोई हम अपने आप ही के दर पए आज़ार रहते हैं हमारा हम से बढ़ कर दुश्मन-ए-जानी नहीं कोई इधर आने से पहले ही हमें मालूम था 'निकहत' ये वो रस्ता है जिस रस्ते में आसानी नहीं कोई