समुंदरों के दरमियान सो गए थके हुए जहाज़-रान सो गए दरीचा एक हौले हौले खुल गया जब उस गली के सब मकान सो गए सुलगती दोपहर में सब दुकान-दार खुली ही छोड़ कर दुकान सो गए फिर आज इक सितारा जागता रहा फिर आज सात आसमान सो गए हवा चली खुले समुंदरों के बीच थकन से चूर बादबान सो गए सहर हुई तो रेगज़ार जाग उठा मगर तमाम सारबान सो गए उस आँख की पनाह अब नहीं नसीब पलक पलक वो साएबान सो गए 'जमाल' आख़िर ऐसी आदतें भी क्या कि घर में शाम ही से आन सो गए