सर भी भारी है दिल भी भारी है बे-क़रारी सी बे-क़रारी है आसमाँ पर सितारे हैं रौशन कैसी क़ुदरत की दस्त-कारी है प्यास ने आज कर दिया साबित ज़ाइक़ा आँसुओं का खारी है आप जिस को न सुन सके अब तक बस वही दास्ताँ हमारी है रात के बा'द सुब्ह का आना सिलसिला ये अज़ल से जारी है आज-कल के शरीफ़-ज़ादों में साफ़ गोई न इंकिसारी है आप हिन्दी ज़बाँ पे शैदा हैं हम को उर्दू ज़बान प्यारी है भेस बदले हुए न हो 'गौहर' आप के दर पे जो भिकारी है