सारा जीवन गुज़ार आया है By Ghazal << हवाएँ चाँदनी में काँपती ह... हयात-ए-ला-उबाली मुझ को &#... >> सारा जीवन गुज़ार आया है अब उसे ए'तिबार आया है उस गली से मुझे मोहब्बत थी उस गली से ही वार आया है उस की आँखों में दर्द है मेरा उस पे कितना निखार आया है रात मुखड़ा वही गुलाबी सा मेरे सपनों के पार आया है Share on: