सराब है कि नहीं क्यों जनाब है कि नहीं हमारी ज़िंदगी मिस्ल-ए-हबाब है कि नहीं हमारी बात का नासेह जवाब है कि नहीं गुनाह-ए-इश्क़ पे कोई अज़ाब है कि नहीं सबक़ पढ़ेंगे मोहब्बत का तुझ से पर ये बता तिरी किताब में सूखा गुलाब है की नहीं सबक़ क्यों अम्न का हम ही पढ़ें किताबों में तुम्हारे पास भी कोई किताब है कि नहीं मिलावटों से हमें है गुरेज़ ऐ साक़ी हमारे वास्ते ख़ालिस शराब है कि नहीं अज़ाब-ए-दुनिया से मर कर तो छूट जाएँगे जहाँ में जीना मुसलसल अज़ाब है कि नहीं ऐ इश्क़ तू ने मुझे जिस तरह ख़राब किया मिरी तरह से कोई और ख़राब है कि नहीं लिखा है बाब-ए-मोहब्बत में फिर भी बतला तू निगाह-ए-यार से पीना सवाब है कि नहीं हदों से बढ़ने लगी सर-कशी हसीनों की नए ज़माना में 'दानिश' हिजाब है कि नहीं