सराब-ए-दश्त तुझे आज़माने वाला कौन बता ये अपने लहू में नहाने वाला कौन सवाद-ए-शाम ये शहज़ाद-गान-ए-सुबह कहाँ सियाह शब में ये सूरज उगाने वाला कौन ये रेगज़ार में किस हर्फ़-ए-लाज़वाल की छाँव शजर ये दश्त-ए-ज़ियाँ में लगाने वाला कौन ये कौन रास्ता रोके हुए खड़ा था अभी और अब ये राह के पत्थर हटाने वाला कौन ये कौन है कि जो तंहाई पर भी राज़ी है ये क़त्ल-गाह से वापस न जाने वाला कौन बदन के नुक़रई टुकड़े लहू की अशरफ़ियाँ इधर से गुज़रा है ऐसे ख़ज़ाने वाला कौन ये किस के नाम पे तेग़-ए-जफ़ा निकलती हुई ये किस के ख़ेमे, ये ख़ेमे जलाने वाला कौन उभरते डूबते मंज़र में किस की रौशनियाँ कलाम-ए-हक़ सर-ए-नेज़ा सुनाने वाला कौन मिली है जान तो उस पर निसार क्यूँ न करूँ तू ऐ बदन मिरे रस्ते में आने वाला कौन