सर्दी गर्मी बरखा तीनों एक साथ ही बस्ते हैं तेरे बदन में वो जादू है सारे मौसम रहते हैं तेरे मेरे बीच नहीं है ख़ून का रिश्ता फिर भी क्यूँ तेरी आँख के सारे आँसू मेरी आँख से बहते हैं एक ज़माना बीता तेरे प्यार के जंगल से निकले याद के साँप तो तन्हाई में आज भी मुझ को डसते हैं वा'दा कर के भूल भी जाना ये तो तेरी आदत है मैं ही नहीं कहता हूँ ऐसा लोग भी अक्सर कहते हैं