सारे आलम में तेरी ख़ुशबू है ऐ मेरे रश्क-ए-गुल कहाँ तू है बर्छी थी वो निगाह देखो तो लहू आँखों में है कि आँसू है एक दम में हज़ार दफ़्तर तय चश्म-ए-हसरत ग़ज़ब सुख़न-गो है तू ही तू और बाल बाल अपना फ़ाख़्ता और शोर-ए-कू-कू है तुझ को देखे फिर आप में रह जाए दिल पर इतना किसी को क़ाबू है जोश-ए-अश्क ओ तसव्वुर-ए-क़द-ए-यार सर्व गोया खड़ा लब-ए-जू है हद न पूछो हमारी वहशत की दिल में हर दाग़ चश्म-ए-आहू है जिस ने मोमिन बना लिया हम को वो तुम्हारा ही मुसहफ़-ए-रू है जिस के कुश्ते हैं ज़िंदा-ए-जावेद वो तुम्हारी ही तेग़-ए-अबरू है दिल जो बे-मुद्दआ हो क्या कहना यही वीराना आलम-ए-हू है पुल भी है फ़ख़्र-ए-जौनपुर 'आसी' ख़्वाब-गाह-ए-जनाब-ए-शेख़ू है