सर-ए-बाम-ए-हिज्र दिया बुझा तो ख़बर हुई सर-ए-शाम कोई जुदा हुआ तो ख़बर हुई मिरा ख़ुश-ख़िराम बला का तेज़-ख़िराम था मिरी ज़िंदगी से चला गया तो ख़बर हुई मिरे सारे हर्फ़ तमाम हर्फ़ अज़ाब थे मिरे कम-सुख़न ने सुख़न किया तो ख़बर हुई कोई बात बन के बिगड़ गई तो पता चला मिरे बेवफ़ा ने करम किया तो ख़बर हुई मिरे हम-सफ़र के सफ़र की सम्त ही और थी कहीं रास्ता कोई गुम हुआ तो ख़बर हुई मिरे क़िस्सा-गो ने कहाँ कहाँ से बढ़ाई बात मुझे दास्ताँ का सिरा मिला तो ख़बर हुई न लहू का मौसम-ए-रंग-रेज़ न दिल न मैं कोई ख़्वाब था कि बिखर गया तो ख़बर हुई