सौ बार क़त्ल कर हमें तू और जिलाए जा जिस तरह दिल में आए तिरे आज़माए जा ऐ शाह-ए-हुस्न दर पे पड़ा है तिरे फ़क़ीर नक़्श-ए-क़दम की तरह उसे भी मिटाए जा पड़ता हूँ तेरे पाँव मुझे नीम-जाँ न छोड़ जल्लाद एक हाथ तो पूरा लगाए जा 'आली' की क़ब्र पर न उठा फ़ातिहा को हाथ ठोकर ही पाँव से कोई ज़ालिम लगाए जा