सौ क़िस्सों से बेहतर है कहानी मिरे दिल की सुन उस को तू ऐ जान ज़बानी मिरे दिल की हर नाले में याँ टुकड़े जिगर होता है बुलबुल आसान नहीं तर्ज़ उड़ानी मिरे दिल की होनी है शहीद एक न इक रोज़ तमन्ना मौक़ूफ़ हो क्या मर्सिया-ख़्वानी मिरे दिल की पीरी में भी मिलता है जो कम-सिन कोई महबूब करती है वहीं ऊद जवानी मिरे दिल की तक़्सीम किए पारा-ए-दिल बज़्म-ए-बुताँ में हर एक के है पास निशानी मिरे दिल की इक बात में हो जाए मुसख़्ख़र वो परी-रू सुनता ही नहीं सेहर-बयानी मिरे दिल की है अब्र तो क्या चाहे फ़लक को भी जला दे बिजली में कहाँ शोला-फ़िशानी मिरे दिल की ज़ुल्फ़ों में किया क़ैद न अबरू से किया क़त्ल तू ने तो कोई बात न मानी मिरे दिल की ये बार-ए-ग़म-ए-इश्क़ समाया है कि 'नासिख़' है कोह से दह-चंद गिरानी मिरे दिल की