सवाल क्या है जवाब क्या है ये उज़्र-ए-ख़ाना-ख़राब क्या है मैं अपनी हस्ती बदल रहा हूँ ये सब हिसाब-ओ-किताब क्या है तिरी मोहब्बत के नाम सब कुछ मिरा कोई इंतिसाब क्या है किनारा ख़ुद से ही कर लिया है अब और हद-ए-इज्तिनाब क्या है सफ़र ही बस कार-ए-ज़िंदगी है अज़ाब क्या है सवाब क्या है