शब ज़रा देर से गुज़रेगी न घबरा ऐ दिल सुब्ह ख़ुद होगी नुमूदार ठहर जा ऐ दिल खो गई गेसू-ए-जानाँ कि घनी छाँव कहाँ हर तरफ़ धूप का तपता हुआ सहरा ऐ दिल कूचा-ए-यार में आए थे किन उम्मीदों से लुट गई आ के यहाँ शौक़ की दुनिया ऐ दिल कैसी शोरिश सी बपा है कभी चल कर देखें क़त्ल-गाहों में है ये कैसा तमाशा ऐ दिल मौसम-ए-गुल है ये कैसा कि चमन हैराँ है हर कली फूल का दिल जैसे कि मेरा ऐ दिल दुश्मन-ए-जाँ हैं सभी सारे के सारे क़ातिल तू भी इस भीड़ में कुछ देर ठहर जा ऐ दिल