शब की तारीकी बढ़ती ही जाए कौन आता है ज़ुल्फ़ बिखराए झिलमिलाए सितारों के झुरमुट किस की पलकों पे अश्क थर्राए उस की जो बात है निराली है दिल-ए-नादाँ को कौन समझाए उन को भूले ज़माना होता है अश्क आँखों में फिर भी भर आए दम-ब-ख़ुद सारी काएनात हुई हम ने वो गीत प्यार के गाए