शब-ए-तारीक हूँ नूर-ए-सहर होने की ख़्वाहिश है मैं ऐसा हो नहीं सकता मगर होने की ख़्वाहिश है मोहब्बत के मुक़ाबिल आ गई है दोस्ती यारो उधर मैं हो नहीं सकता जिधर होने की ख़्वाहिश है वगर्ना तेरा होना और न होना एक जैसा है किसी अहल-ए-नज़र से मिल अगर होने की ख़्वाहिश है 'रज़ा' इक दिन तुझे अपनी नज़र से भी गिरा देगी ये जौहर इक नज़र में मो'तबर होने की ख़्वाहिश है