शहद गुल गीत अब्र तारा है माँ मोहब्बत का इस्तिआ'रा है ज़िंदगी दाइमी तलातुम है और माँ हर घड़ी किनारा है तर्बियत अंबिया भी पाते हैं माँ की आग़ोश वो इदारा है जितने जज़्बात हैं मोहब्बत के सब पे माँ बस तिरा इजारा है ज़िंदगी तीरगी से पुर 'ऐमन' माँ चमकता हुआ मनारा है