वो दिल में रहते हैं दिल का निशाँ नहीं मा'लूम मकीन ढूँड रहा हूँ मकाँ नहीं मा'लूम सुकून पाने लगा हूँ ग़म-ए-मोहब्बत में कहाँ गईं मिरी बे-ताबियाँ नहीं मा'लूम मसर्रतों का तो सतही मुताला है मगर ग़म-ए-हयात की गहराइयाँ नहीं मा'लूम फ़ुग़ाँ नसीब की वारफ़्तगी अरे तौबा फ़ुग़ाँ नसीब को वज्ह-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मा'लूम चमन की फ़िक्र भी कर आशियाँ की फ़िक्र के साथ किधर को टूट पड़ें बिजलियाँ नहीं मा'लूम वफ़ा-शिआ'र तही-दस्त आए मंज़िल पर कहाँ कहाँ पे लुटा कारवाँ नहीं मा'लूम 'शकील' आइना है दौर-ए-इंक़िलाब मगर मआल-ए-क़िस्मत-ए-हिन्दोस्ताँ नहीं मा'लूम