शाम तक मेरी बेकली है शराब शाम को मेरी सरख़ुशी है शराब जहल-ए-वाइ'ज़ का इस को रास आए साहिबो मेरी आगही है शराब रंग-रस है मेरी रगों में रवाँ ब-ख़ुदा मेरी ज़िंदगी है शराब नाज़ है अपनी दिलबरी पे मुझे मेरा दिल मेरी दिलबरी है शराब है ग़नीमत जो होश में नहीं मैं शैख़ तुझ को बचा रही है शराब हिस जो होती तो जाने क्या करता मुफ़्तियों मेरी बे-हिसी है शराब